३१ मई को तम्बाकू निषेध दिवस मनाया जाता है| इस दिवस के तहत युवाओं में जागृति लाने के उद्देश्य से फाउण्डेशन द्वारा जलके गॉंव में यह कार्यक्रम मनाया गया| वर्तमान समय में युवाओं को व्यसन की ओर आकर्षित करने के इतने प्रलोभन दिये जाते हैं कि वे सरलता से आचरण कर इन्हीं व्यसन रूपी बरबादी में घिर जाते हैं| मीडिया का प्रभाव उनमें ज्यादा भूमिका निभा रहा है| अपने चहेते अभिनेता का अनुकरण करने की दिशा में युवा वर्ग खुद को बरबाद करते दिखायी दे रहे हैं| तम्बाकू उत्पादों का सेवन अनेक रूपों में किया जाता है- जैसे गुटका, खैनी, बीड़ी, सिगरेट, हुक्का आदि|
तम्बाकू निषेध दिवस के अंतर्गत जलके, खर्ची एवं औरंगाबाद से पधारे सतीष ढिवरे ने अपने व्याख्यान में तम्बाकू के नुकसान को स्पष्ट रूप से दर्शाया था| उन्होंने कहा कि आज हम अपने व्यसनी मित्र की संगति से तम्बाकू जैसे घातक व्यसन की ओर आकर्षित हो जाते हैं| तम्बाकू में मादकता देने वाला मुख्य घटक निकोटीन है जो सबसे घातक है| इनके कारण भयंकर बीमारियॉं जैसे - दिल की बीमारियॉं, पेट का अल्सर, अनिद्रा एवं मुंह, गला, श्वासनली का कैंसर जैसे रोगों की संभावना बढ़ जाती है|
सतीष ढिवरे ने तम्बाकू के साथ जुड़े आर्थिक पहलुओं को स्पष्ट करते हुए कहा कि व्यक्तिगत रूप से हम स्वस्थ होंगे तभी हम स्वस्थ परिवार एवं स्वस्थ समाज का निर्माण कर सकेंगे| जितना खर्च इन व्यसनों में किया जाता है, अगर उतना खर्च हम शिक्षा या विकास कार्यों में करें तो हम सुनिश्चित भविष्य का निर्माण कर सकते हैं| इस विश्वास के साथ इस अवसर पर उपस्थित लोगों ने यह संकल्प लिया कि हम खुद भी तम्बाकू का सेवन नहीं करेंगे और अन्य लोगों को भी नहीं करने देंगे|
जलके गॉंव के प्रमुख व्यक्ति पी. के. पाटील, फाउण्डेशन के कार्यकर्ता राजेन्द्र जाधव, सागर चौधरी, पीजी डिप्लोमा के छात्र एवं जलके गॉंव के करीब ४०० लोग इस कार्यक्रम में उपस्थित थे| कार्यक्रम का सूत्र-संचालन मयूर गिरासे ने किया|
Back to Articles