गॉंधी रिसर्च फाउण्डेशन बहुआयामी गतिविधियों के माध्यम से गॉंधीजी के जीवन मूल्यों को व्यक्ति और समाज में स्थापित करने हेतु सदा प्रयत्नशील रहा है| संस्था का मूल उद्देश्य ही सत्य, अहिंसा, शांति, आपसी सहयोग की भावना का वैश्विक स्तर पर विकास करना है| फाउण्डेशन द्वारा ग्राम समुदाय के शाश्वत विकास की दिशा में आगे बढ़ने हेतु बहुविध कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं प्रस्तुत है एक रिपोर्ट- सम्पादक
सकारात्मक संवाद करें - भिडे
गॉंधी रिसर्च फाउण्डेशन द्वारा १५ जुलाई, २०१५ को विश्व युवा कौशल दिवस पर ‘करियर विकास के लिए संवाद कौशल’ विषय पर कांताई सभागृह में कार्यक्रम संपन्न हुआ| करियर सलाहकार राजेन्द्रजी भिडे मुख्य वक्ता के रूप में दर्शकों को संबोधित किये|
अपने वक्तव्य में आपने बताया कि हम दूसरों से तो संवाद करते हैं, पर स्वयं से कितना संवाद करते हैं? हम स्वयं से ८० प्रतिशत संवाद करते हैं किन्तु यह संवाद प्राय: नकारात्मक होता है, जैसे कि ऐसा ही क्यों हुआ, वह नहीं मिला, यह नहीं किया, वह नहीं किया, इस प्रकार के विचार हमारे मन में शुरू रहते हैं| इसलिए सबसे पहले अपने बोलने में ही सकारात्मक भाव लाना चाहिए, ऐसा प्रतिपादन राजेंद्रजी भिडे ने किया| अपने मन के विरुद्ध जाकर दूसरों को खुश रखते हैं, ऐसा कतई नहीं करना चाहिए’| मनुष्य के स्वभाव पर कई बातें निर्भर करती हैंै| स्वभाव का अर्थ है-मनुष्य के भीतर के ‘स्व’ के कारण पैदा होने वाले भाव, अभ्यास, अनुभव, प्रसंग| व्यक्ति के अनुसार जो भाव प्रकट किया जाता है, उसी को उसका ‘स्वभाव’ कहा जाता है| किसी एक व्यक्ति का स्वभाव अच्छा या बुरा उस वक्त के मौजूदा हालात तय करते हैं|
कथित कार्यक्रम में जलगॉंव शहर के प्रमुख विद्यालय, महाविद्यालय के छात्र एवं नगर जन के साथ करीब ५०० लोग उपस्थित थे| मुख्य अतिथि के रूप में सेवादास दलूभाऊ जैन, जलगॉंव के सांसद ए. टी. पाटील मौजूद थे| ए. टी. पाटील ने कार्यक्रम में सम्मिलित युवाओं को ‘युवा कौशल विकास’ योजनाओं के बारे में जानकारी दी| युवा अपने अंदर के कौशल को खोज़ निकालें और अपना विकास करें; इसलिए इस योजना में अधिक युवाओं को शामिल होना चाहिए, ऐसा आवाहन ए. टी. पाटील ने किया| प्रमोद चिकेरूर ने प्रास्ताविक किया|
Back to Articles